भास्कर ओपिनियन:महाराष्ट्र और झारखंड, कौन पहचानेगा चुनावी हवा का रुख

चुनाव दर चुनाव। उम्रें ख़त्म होने लगीं, पर माथे की शिकन जाती नहीं। रूखी रोटी, सूखी चूरी पीछा ही नहीं छोड़ती। पैसा- पैसा बड़े होने में लगे रहता है आम आदमी। दस या सौ का नोट होने के लिए नहीं, बल्कि एक रूपया होने के लिए। लेकिन इन नेताओं ने, इस राजनीति ने आम आAds Links by Easy Branches
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